मंगलवार, 31 मार्च 2020

Rajasthani Kahavat

इंसान की पहचान 



तारो की ओट में चंद्र छुपे न , सूर्य छुपे  बादल छाया  | 
चंचल नार के नैन छुपे ना, भाग्य छुपे ना भभूत लगाया  | 
रण  चढ़िया रजपूत छुपे न, दातार छुपे न घर मांगण  आय |
कवि गंग कहे सुन शाह अकबर, गुण  छुपे न सत्संग आया| 
जो कुछ लिखा ललाट पर मैट  सके ना कोय, कोटि यतन करते फिरो अनहोनी ना होय || 

Veero Ki Dharti

राजस्थान के माँ  सन्देश

जननी जने तो एडा जण के, दाता के शूर |
अरे! नी  रहीजे बाँझनी थू मति घमाजे नूर |
मायी जणे तो एडो जण जे महाराणा प्रताप
अकबर सुतो जिको, रेण  सिराणे सांप || 



Rajasthan Old bhajan and Dohe

वीरो द्वारा रणचंडी का स्तुति भजन 

ले हाथ ढाल तलवार मुठ मजबूती तू धर दे चामुंडा वीरो में मजबूती।
मै सारा पहली मात तुझको मनाता , वो मै तुझको मनाता !!!
लहू का प्याला म्हारी , जगदम्बा आता।
होजी उठो शेर कोई खडग रखो मजबूती !!!
हे धर  दे भवानी रजपूतो  मजबूती।

मुगलो की फौज मेवाड़ देश चढ़ आयीदेश चढ़ आयी |
गढ़ घेर लिया, चितौड़ घटा चहु छायी |
 हल्दीघाटी जो तलवार चलाई , तलवार चलाई|
वी कृपा तुम्हारी म्हारी जगदम्बा मम  म्हारी|
ले हाथ ढाल तलवार मुठ मजबूती तू धर दे चामुंडा वीरो में मजबूती।

अमरसिंह  राठौड़ , नागौर का जाया,नागौर का जाया|
गढ़ जीत आगरो , कोट फ़तह  कर आया |

 हल्दीघाटी जो तलवार चलाई , तलवार चलाई|
वी कृपा तुम्हारी म्हारी जगदम्बा मम  म्हारी|
हिन्दुआ सूरज आधपति महाराणा,  पति तो महाराणा !!!
सारी सेना में मचा दिया वो घमसाणा |

अब सुनलो धरकर ध्यान सुनाऊ कहानी, सुनाऊ कहानी|
धरती पर किन्हा, नाम झांसी राणी |

पृथ्वीराज चौहान,खांडा रे  खड़काया, खांडा रे  खड़काया|
अखियो से अँधा, फिर भी बाण   चलाया

होजी ले हाथ ढाल तलवार मुठ मजबूती तू धर दे चामुंडा वीरो में मजबूती।